आयोग के बारे में

01- भूमिका

भारत के संविधान में समाज के पिछड़े वर्गों के लिए विशेष सुविधायें एवं आरक्षण प्रदान किये गये हैं, ताकि इन जातियों/वर्गों का बहुमुखी विकास एवं जीवन स्तर अन्य वर्गों के समान हो सके। इस सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा गठित वी.पी. मण्डल आयोग की संस्तुतियों के संदर्भ में माननीय उच्चतम न्यायालय की नौ सदस्यीय विशेष संविधान पीठ ने ''इन्दिरा साहनी बनाम भारतीय संघ'' वाद में अपने ऐतिहासिक फैसले 1992 में परमादेश जारी किया कि अन्य पिछड़े वर्गों में जातियों को सम्मिलित/निष्कासित करने के सम्बन्ध में प्रत्येक राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार द्वारा ऐसे ट्रिब्यूनल या आयोग गठित किये जायेंगे जो सरकार को अपनी संस्तुति करेंगे, जिन्हे सरकार सामान्यतः मानने के लिये बाध्य होगी।

अतः राज्याधीन आदि सेवाओं में अन्य पिछड़े वर्गों को अनुमन्य आरक्षण हेतु पिछड़े वर्गों की सूची में अपेक्षित समावेश करने एवं तत्सम्बन्धी शिकायतों पर सम्यक रूप से विचार कर संस्तुति देने हेतु महामहिम श्री राज्यपाल उ0प्र0 द्वारा एक स्थायी आयोग के गठन/स्थापना की सहर्ष स्वीकृति शासनादेश संख्या 22/16/92कार्मिक -2 दिनांक 09 मार्च 1993 द्वारा प्रदान की गयी, जिसमें 01 अध्यक्ष और 04 सदस्यों की व्यवस्था की गयी।

माननीय अध्यक्ष एवं माननीय सदस्यों के सितम्बर 1993 में कार्यभार ग्रहण करने के साथ आयोग अपने अस्तित्व में आया, जो उत्तर प्रदेश सरकार की अधिसूचना संख्या 34/XVII-V-1-1-(KA)44-1996 दिनांक 05 जनवरी, 1996 से उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग राज्य आयोग अधिनियम 1996 (राष्ट्रपति अधिनियम संख्या-1 सन् 1996) के रूप में लागू हुआ। उ0प्र0 सरकार द्वारा प्रकाशित विधायी अनुभाग-1 की अधिसूचना संख्या 1187/79-वि0/07-01(क)29-2007 लखनऊ, 09 जुलाई, 2007 द्वारा उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग राज्य आयोग (संशोधन) अधिनियम-2007 द्वारा 01 अध्यक्ष, 02 उपाध्यक्ष तथा 17 सदस्यों की व्यवस्था की गयी थी जिसे उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग राज्य आयोग (संशोधन) अधिनियम-2014 द्वारा आयोग में 01 अध्यक्ष, 02 उपाध्यक्ष तथा 25 सदस्यों की नियुक्ति की व्यवस्था की गई है।

आयोग के कार्य

  • आयोग अनुसूची में किसी वर्ग के नागरिकों को पिछड़े वर्ग के रूप में सम्मिलित किये जाने के अनुरोधों का परीक्षण करेगा और अनुसूची में किसी पिछड़े वर्ग के गलत सम्मिलित किये जाने या सम्मिलित न किये जाने की शिकायतें सुनेगा और राज्य सरकार को ऐसी सलाह देगा, जैसी वह उचित समझे।
  • तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन या राज्य सरकार के किसी आदेश के अधीन पिछड़े वर्गों के लिये उपबन्धित रक्षोपायों से सम्बन्घित सभी मामलों का अन्वेषण और अनुश्रवण करेगा और ऐसे रक्षोपायों की प्रणाली का मूल्यांकन करेगा।
  • पिछड़े वर्गों के अधिकारों और रक्षोपायों से वंचित किये जाने के सम्बन्ध में विशिष्ट शिकायतों की जांच करेगा।
  • पिछड़े वर्गों के सामाजिक-आर्थिक, विकास की योजना प्रक्रिया में भाग लेगा और उन पर सलाह देना और उनके विकास की प्रगति का मूल्यांकन करेगा।
  • राज्य सरकार को उन रक्षोपायों की कार्यप्रणाली पर वार्षिक व ऐसे अन्य समयों पर जैसा आयोग उचित समझे, प्रतिवेदन प्रस्तुत करना।
  • पिछड़े वर्गों के संरक्षण, कल्याण और सामाजिक-आर्थिक, विकास के लिए उन रक्षोपायों और अन्य उपायों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए ऐसे प्रतिवेदन में उन उपायों के सम्बन्ध में, जो राज्य सरकार द्वारा किये जायें, सिफारिश करेगा।
  • पिछड़े वर्गों के संरक्षण कल्याण, विकास और अभिवृद्धि के सम्बन्ध में ऐसे अन्य कृत्यों का, जो राज्य सरकार द्वारा उसको निर्दिष्ट किये जायें, निर्वहन करेगा।

आयोग की शक्तिया

राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, उ0प्र0 राष्ट्रपति अधिनियम संख्या-1 सन् 1996 की धारा-9 की उपधारा (1) के अधीन अपने कृत्यों का पालन करते समय किसी वाद का विचारण करने वाले सिविल न्यायालय की सभी और विशेषतः निम्नलिखित बातों के सम्बन्ध में शक्तियां प्राप्त होंगी, अर्थात-

  • किसी व्यक्ति को समन करना और उसे उपस्थित होने के लिये बाध्य करना और शपथ पर उसकी परीक्षा करना।
  • किसी दस्तावेज को प्रकट और प्रस्तुत करने की अपेक्षा करना।
  • शपथ पत्रों पर साक्ष्य प्राप्त करना।
  • किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक दस्तावेज की या उसकी प्रतिलिपि की अधियाचना करना।
  • साक्ष्यों और दस्तावेजों की परीक्षा के लिए कमीशन जारी करना।
  • अन्य कोई विषय जो विहित किया जाय।

पिछड़े वर्गों का जहाँ आरक्षण हैः-

  1. सरकारी नौकरियां।
  2. शिक्षण संस्थायें।
  3. तकनीकी शिक्षण संस्थायें (सी0पी0एम0टी0, इंजीनियरिंग में आरक्षण)
  4. सरकारी आवास।
  5. सरकारी छात्रावास।
  6. विकास प्राधिकरण एवं आवास विकास परिषद के भवन, भूखण्ड तथा व्यवसायिक भूखण्डों में।
  7. मण्डी परिषद की दुकानों में।
  8. नगर निगम, नगर पालिका द्वारा निर्मित दुकानों में।
  9. ग्राम प्रधान, जिला पंचायत अध्यक्ष, इत्यादि जहां आरक्षण हो।

राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, उ0प्र0 के अधिकार एवं कार्य प्रणालीः-

राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग उ0प्र0 के अंतर्गत तीन प्रकार के परिवाद ग्रहण किये जाते हैंः-

  1. जाति सम्मिलन एवं निष्कासन सम्बन्धी।
  2. रक्षोपायों (अधिकारों से वंचित होने) से सम्बन्धित शिकायतें।
  3. आरक्षण एवं अन्य रक्षोपायों से सम्बन्धित कार्य (मूल्यांकन एवं नियोजन)

1. जाति सम्मिलन एवं निष्कासनः-

किसी वर्ग के नागरिकों को पिछड़े वर्ग के रूप में सम्मिलित किये जाने के अनुरोधों को परीक्षण करने और पिछड़े वर्ग की अनुसूची में किसी वर्ग को गलत सम्मिलित किये जाने या सम्मिलित न किये जाने की शिकायतों को सुनने की निम्न प्रक्रिया हैः-

  • जो जातियां सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी हैं किन्तु अन्य पिछड़े वर्ग की अनुसूची में अंकित नहीं है उन जातियों को सूची में अंकित किये जाने के प्रत्यावेदन।
  • यदि अनुसूची में किसी पिछड़े वर्ग के गलत सम्मिलित किये जाने अथवा सम्मिलित न किये जाने की शिकायतें प्राप्त होती हैं तो उन शिकायतों का अन्वेषण तथा अनुश्रवण के उपरान्त शासन को संस्तुति दी जाती है।

उक्त दोनों कार्यों के लिये आयोग कार्यालय से प्रारूप को प्राप्त कर प्रत्यावेदन प्रपत्र भर कर आयोग को प्रस्तुत किया जाता है। उक्त प्रपत्र सम्बन्धित जाति के संगठन द्वारा आयोग को उपलब्ध कराये जाने पर विचार किया जाता है। प्रारम्भिक सुनवाई उपरान्त जातियों के सामाजिक एवं शैक्षणिक अध्ययन के बाद सर्वेक्षित जातियों को समाचार पत्रों के माध्यम से सार्वजनिक सूचना द्वारा समस्त नागरिकों के संज्ञान में लाकर आयोग द्वारा सुनवाई उपरान्त माननीय आयोग द्वारा अन्तिम निर्णय लेकर शासन को संस्तुति दी जाती है।

2. रक्षोपायों (अधिकारों से वंचित होने) से सम्बन्धित शिकायतें (आरक्षण एवं उत्पाीड़न):-

शिकायत का तात्पर्य किसी पिछड़े वर्ग के नागरिकों को रक्षोपायों (उत्पीड़न से संरक्षण/अधिकारों) से वंचित करने की स्थिति को आयोग के संज्ञान में लाने से है|

उ0प्र0 सरकार की किसी विधि के अधीन या राज्य सरकार के किसी आदेश के अधीन पिछड़े वर्गों के लिये उपबंघित रक्षोपायों (उत्पीड़न से संरक्षण) से सम्बन्धित सभी मामलों की शिकायतें प्राप्त होने पर अन्वेषण एवं अनुश्रवण किया जाता है तथा शासन को संस्तुति दी जाती है।

3. आरक्षण एवं अन्य रक्षोपायों से सम्बन्धित कार्य (मूल्यांकन एवं नियोजन):-

  • उत्तर प्रदेश लोक सेवा पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण अधिनियम-1994 के अंतर्गत नौकरियों में आरक्षण से सम्बन्धित।
  • सरकारी आवासों में आरक्षण से सम्बन्धित विभिन्न प्राधिकरणों/आवास विकास परिषदों द्वारा आवंटित आवासों एवं भूखण्ड में आरक्षण के सम्बन्ध में तथा जहां भी आरक्षण लागू हो, से सम्बन्धित शिकायतें।
  • यदि किसी पिछड़े वर्ग के व्यक्ति को शासन द्वारा किसी नियम/शासनादेश के अंतर्गत अनुमन्य लाभ नहीं दिया जाता है तथा सम्बन्धित विभाग द्वारा अड़चनें पैदा की जाती हैं, से सम्बन्धित शिकायतें जैसे - लोक सेवकों की पेंशन, अनुग्रह राशि, मृतक आश्रित नियुक्ति एवं देयकों का भुगतान, सामान्य भविष्य निधि सेवानिवृत्त सम्बन्धी देयक निष्कासन अथवा समापन से प्रोदभूत कोई दावा।

प्रक्रियाः-

    • उपरोक्त प्रकार की शिकायतें शिकायतकर्ताओं द्वारा साक्ष्यों को संलग्न कर सीधे अध्यक्ष, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, उत्तर प्रदेश को पूर्ण विवरण के साथ तीन प्रतियों में उपलब्ध कराना होगा।
    • उपरोक्त प्रकार की शिकायतें आयोग द्वारा प्रथम दृष्टया अपूर्ण होने पर शिकायतकर्ता से सम्बन्धित तथ्यों की अनुपलब्धता पर निरस्त कर दी जायेगी।
    • यदि शिकायत पर आयोग द्वारा अन्वेषण के उपरान्त सुनवाई का निर्णय लिया जाता है, तो शिकायतकर्ता को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर साक्ष्यों की पुष्टि करनी होगी।
    • यदि शिकायतकर्ता द्वारा आयोग को शिकायत प्रेषित करने से पूर्व अपने विभाग से पत्राचार किया गया है, तो साक्ष्य संलग्नक के रूप में अवश्य प्रस्तुत किया जाय तथा यदि पत्राचार नहीं किया है तो सम्बन्धित विभाग से पत्राचार के उपरान्त ही आयोग को शिकायत प्रस्तुत कर सकता है।

आयोग द्वारा पिछड़े वर्गों हेतु अनेक सिफारिशों के अतिरिक्त सामाजिक, शैक्षणिक तथा विकास हेतु संस्तुतियां उत्तर प्रदेश शासन को प्रेषित की जाती हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में पिछड़े वर्गों के हित संरक्षण, विकास हेतु सतत् प्रयत्नशील है। यदि कोई भी व्यक्ति पिछड़े वर्गों के सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक, राजनैतिक विकास हेतु कोई सुझाव, विचार अभिकथन देना चाहें तो निम्न पते पर दिया जा सकता हैः-

शिकायत इस पते पर करेंः-

अध्यक्ष
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, उ0प्र0
तृतीय तल, इन्दिरा भवन, अशोक मार्ग, लखनऊ
फोन नं0-0522-2287243
फोन नं0-0522-2287076 (ई0पी0वी0ए0एक्स0)
फैक्स नं0-0522-2287215
Website-www.upsbcc.in
E-mail-sbcc-up@nic.in

उत्तर प्रदेश के अन्य पिछड़े वर्गों की अनुमन्य सूची में सम्मिलित जातियों का विवरण