इतिहास/पृष्ठभूमी

राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, उ0प्र0 का संक्षिप्त विवरण

भारत के संविधान में समाज के पिछड़े वर्गों के लिए विशेष सुविधायें एवं आरक्षण प्रदान किये गये है, ताकि इन जातियों / वर्गों का बहुमुखी विकास एवं जीवन स्तर अन्य वर्गो के समान हो सके। इस सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा गठित वी.पी. मण्डल आयोग की संस्तुतियों के सन्दर्भ में मा0 उच्चतम न्यायालय की नौ सदस्यीय विशेष संविधान पीठ ने "इन्दिरा साहनी बनाम भारतीय संघ" वाद में अपने ऐतिहासिक फैसले 1992 में परमादेश जारी किया कि अन्य पिछड़े वर्गो में जातियों को सम्मिलित / निष्कासित करने के सम्बन्ध में प्रत्येक राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार द्वारा ऐसे ट्रिब्यूनल या आयोग गठित किये जायेंगे जो सरकार को अपनी संस्तुति करेंगे, जिन्हें सरकार सामान्यत: मानने के लिए बाध्य होगी।

राज्याधीन आदि सेवाओं में अन्य पिछड़े वर्गो को अनुमन्य आरक्षण हेुत पिछड़े वर्गो की सूची में अपेक्षित समावेश करने एवं तत्सम्बन्धी शिकायतों पर सम्यक रूप से विचार कर संस्तुति देने हेतु महामहिम श्री राज्यपाल उ0प्र0 द्वारा एक स्थायी आयोग के गठन / स्थापना की सहर्ष स्वीकृति शासनादेश सं0- 22/16/92 कार्मिक -2 दिनांक 09 मार्च 1993 द्वारा प्रदान की गयी। इसे "राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, उ0प्र0" नाम दिया गया। आयोग में मा0 अध्यक्ष एवं मा0 सदस्यों के सितम्बर 1993 में कार्यभार ग्रहण करने के साथ में अस्तित्व में आया।