शिकायत प्रकोष्ठ

रक्षापायों से सम्बंधित शिकायतों के सम्बन्ध में 

आयोग अधिनियम की धारा-9(1)ग में प्राविधान है कि पिछडे वर्गो के अधिकारों और रक्षोपायों से वंचित किये जाने के सम्बन्ध में विशिष्ट शिकायतों की जाँच करना।

इस कार्य "आयोग प्रक्रिया विनियमावली 1999" के नियम-10 में व्यवस्था की गयी है।

  • शिकायत प्राप्त होने पर अध्यक्ष द्वारा उसे किसी उपाध्यक्ष/सदस्य को चिन्हित किया जा सकता है। ऐसे सदस्य द्वारा शिकायत का परीक्षण करने पर यह पाया जाये कि शिकायत के सम्बनध में जांच /सुनवाईकरना उपयुक्त हो तो उसके लिए तत्पश्चात उपबंधित व खण्ड (ख) व (ग) के अनुसार कार्यवाही की जायेगी। मामले में आख्या प्राप्त होने पर यदि सम्बन्धित मा० उपाध्यक्ष/मा० सदस्य जिनके द्वारा मामले में आख्या मंगाये जानेका निर्णय लिया गया हो तो बिना सुनवाई के प्रकरण निक्षेप/दाखिल दफ्तर किये जाने का निर्णय लिया जाता है तो मा० उपाध्यक्ष/मा० सदस्य के उक्त निर्णय पर मा० अध्यक्ष का अनुमोदन प्राप्त होने पर सम्बंधित पक्षों को प्रकरण निक्षेप की सूचना प्रेषित की जायेगी यदि शिकायत का प्रारम्भिक परीक्षण करने पर यह पाया जाय कि उस पर कार्यवाही की आवश्यकता नही है तो ऐसे मामले आयोग की बैठक में रखकर विचार किया जायेगा।विचारोपरान्त यदि शिकायत पर आयोग द्वारा कार्यवाही किया जाना उपयुक्त न पाया जाय तो ऐसी शिकायत को पत्रावलित कर दिया जायेगा। जिसकी सूचना शिकायर्ताओ को प्रेषित की जायेगी। बैठक में यदि उस शिकायत केसम्बनध में जांच/सुनवाई का निर्णय किया जाय तो एतद्द्वारा उपबन्धित खण्ड (ख) (ग) व (घ) के अनुसार जांच/सुनवाई की जायेगी।
  • जिस शिकायत के सम्बन्ध में जांच/सुनवाई किये जाने का विनिश्चय हो और शिकायती/पत्र शासन के पूर्ण नियंत्रणाधीन शासकीय विभाग/अधिकारी के विरूद्ध प्राप्त हुआ हो तो उसके सम्बनध में सम्बन्धित अधिकारी/प्राधिकारी एवं शासन से सम्बन्धित विभाग के प्रमुख सचिव/ सचिव को शिकायती पत्र की प्रति भेजते हुए उस पर शासन के माध्यम से आख्या 04 प्रतियों में निर्धारित अवधि तक उपलब्ध कराने की अपेक्षा की जाय। इस सम्बन्ध में नोटिस प्रपत्र पर भेजी जायेगी जैसा कि आयोग निर्धारित करें। आख्या प्राप्त हो जाने पर अथवा अवसर दिये जाने के बावजूद आख्या प्राप्त न होने पर सुनवाई की तिथि निर्धारित की जायेगी। जिसकी लिखित सूचना सम्बन्धित शिकायतकर्ता को ऐसे प्रपत्र पर जैसा कि आयोग निर्धारित करे भेजी जायेगी। सुनवाई की प्रथम तिथि अध्यक्ष द्वारा निश्चित की जायेगी। स्वायत्ताशासी संस्थाओं के विरूद्ध प्राप्त शिकायती पत्रो पर सम्बंधित अधिकारी /प्राधिकारी/विभागाध्यक्ष को शिकायती पत्र की प्रति भेजते हुए आख्या 04 प्रतियों में निर्धारित अवधि तक उपलब्ध कराने की अपेक्षा की जायेगी। इस सम्बनध में नोटिस ऐसे प्रपत्र पर भेजी जायेगी जैसा कि आयोग निर्धारित करे। आख्या प्राप्त हो जाने पर अथवा अवसर दिये जाने के बावजूद आख्या न दिये जाने पर सुनवाई की तिथि निर्धारित की जायेगी। जिसकी लिखित सूचना सम्बन्धित व्यक्तियों को ऐसे प्रपत्र पर जैसा कि आयोग निर्धारित करे भेजी जायेगी। सुनवाई की प्रथम तिथि अध्यक्ष द्वारा निश्चित की जायेगी। आयोग द्वारा शासन के प्रतिनिधि की उपस्थिति में सुनवाई किये जाने की आवश्यकता समझे जाने की दशा में सम्बन्धित विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव को व्यक्तिगत रूप से अथवा सम्बन्धित अधिकारी की उपस्थिति होने हेतु नोटिस भेजी जायेगी। जिस मामले में त्वरित कार्यवाही की आवश्यकता हो उसमें आख्या व सुनवाई हेतु तिथि एक साथ अध्यक्ष द्वारा निश्चित करते/कराते हुए नोटिस भेजी जायेगी।
  • जांच/सुनवाई आयोग की समिति /पीठ करेगी। आवश्यकतानुसार इस जांच से सम्बन्धित त्वरित रूप से किसी संस्था/विभाग से जानकारी/आंकडे आदि प्राप्त करने हेतु आयोग की ओर से उत्तरदायी अधिकारी/कर्मचारी भेजे जा सकते है। जो ‍कि इन जानकारियों/आंकड़ों की आयोग की जांच आवश्यकता के अनुसार यथा शीघ्र एकत्रित करेंगे और मुख्यालय पर सम्बंधित समिति/पीठ के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।
  • सम्बंधित पीठ/समिति द्वारा इस प्रकार की विशिष्ट जांच की सुनवाई में सभी तर्क संगत रूप से आवश्यक प्रक्रियायें अपनायी जायेगी। इसमें शिकायतकर्ता एवं विरोधी पक्ष को बुलाकर आमने-सामने उनके पक्ष को सुनना तथा एक दूसरे के उठाये गये बिन्दुओं पर बहस का अवसर प्रदान करना तथा अन्य नैसर्गिक न्याय के सभी नियमों को अपनाया जाना सम्मिलित है।
  • सम्बंधित शिकायत पर आयोग की संस्तुति सरकार के सम्बंधित विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव के पास अपेक्षित कार्यवाही हेतु प्रेषित की जायेगी।
  • स्वायत्ताशासी संस्थाओ से सम्बंधित शिकायतों पर आयोग की संस्तुति की प्रति स्वायत्ताशासी संस्था की प्रमुख (विभागाध्यक्ष) को प्रेषित की जायेगी।

उत्पीड़न प्रकोष्ठ में प्राप्त शिकायतों का विवरण

उत्पीडन प्रकोष्ठ में उत्पीड़न सम्बंधित निम्नलिखित विषयों की शिकायतें प्राप्त होती है-

  • नौकरी में आरक्षण सम्बंधी शिकायतें।
  • शिक्षण संस्थाओं में (नौकरी /प्रवेश) आरक्षण के सम्बनध में।
  • सरकारी आवासों में आरक्षण से सम्बन्धी शिकायतें।
  • छात्रावासों में आरक्षण से सम्बंधी शिकायतें।
  • आवासीय योजनाओं (विकास प्राधिकरणों / आवास विकास परिषद) के भूखण्डों/आवास के आवंटन के सम्बन्ध में आरक्षण सम्बन्धी शिकायतें।
  • विशिष्ट शिकायतों के अन्तर्गत कब्जा सम्बन्धी तथा पुलिस उत्पीड़न सम्बन्धी शिकायतें।

उपरोक्त के अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा जहां भी आरक्षण प्राविधान किया गया है, आयोग की निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार कार्यवाही की जाती है।