उत्तर प्रदेश पिछड़े वर्गो के लिए राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, उत्तर प्रदेश राष्ट्रपति अधिनियम संख्या-(1) 1996 की धारा-9(1)(क) - "आयोग अनुसूची में किसी वर्ग के नागरिकों को पिछड़े वर्ग के रूप में सम्मिलित किये जाने के अनुरोधों का परीक्षण करेगा और अनुसूची में किसी पिछड़े वर्ग के गलत सम्मिलित किये जाने या न किये जाने की शिकायत सुनेगा और राज्य सरकार का ऐसी सलाह देगा, जैसा वह उचित समझे।"
आयोग अधिनियम में प्राविधानित उक्त दायित्व के अनुपालन हेतु "आयोग प्रक्रिया विनियमावली-1999" के नियम-8 में निम्न प्रक्रिया निर्धारित की गई है :-
- इससे सम्बन्घित प्रत्यावेदन का प्रारम्भिक परीक्षण तथा आयोग के विचार हेतु आख्या प्रस्तुत करने का कार्य उस सदस्य द्वारा किया जाएगा है, जिसे प्रत्यावेदन अध्यक्ष द्वारा भेजा जायेगा।
- एक माह में विभिन्न जातियों के प्राप्त प्रत्यावेदनों के सम्बन्ध में प्रारम्भिक प्राथमिकता का निर्धारण अगले माह के प्रथम सप्ताह में होने वाली आयोग की बैठक में किया जायेगा।
- प्राथमिकता निर्धारण के उपरान्त सार्वजनिक सूचना के माध्यम से क्रमिक रूप से, तिथिवार प्राप्त प्रत्यावेदना की प्रारम्भिक सुनवाई हेतु आयोग की ओर से सार्वजनिक सूचना प्रकाशित की जाएगी। ऐसी सार्वजनिक सूचना दैनिक समाचार पत्र जिसका सम्बन्धित क्षेत्र में प्रसार हो, प्रकाशित की जाती है। इसके अतिरिक्त सम्बन्धित प्रत्यावेदनकर्ताओं को सुनवाई की सूचना पत्र द्वारा भेजी जाएगी।
- प्रारम्भिक सुनवाई आयोग द्वारा की जाएगी। सुनवाई के पश्चात् आयोग यदि प्रत्यावेदन पर आगे कार्यवाही करना उपयुक्त नहीं पाये, तो प्रकरण समाप्त कर दिया जाता है। यदि आयोग आगे कार्यवाही करने का निर्णय लेता है, तो निम्नलिखित प्रक्रिया के अनुसार कार्यवाही की जायेगी। (1) आयोग के सर्वेक्षण प्रभाग द्वारा स्थलीय जाँच एवं सर्वेक्षण सम्बन्धित जाति/वर्ग के सम्बन्ध में किया जाएगा। ऐसे सर्वेक्षण एवं स्थलीय जाँच के लिये आयोग के सर्वेक्षण प्रभाग के अतिरिक्त मा0 अध्यक्ष द्वारा इस कार्य हेतु नामित द्विसदस्यीय समिति भी सम्बन्धित क्षेत्र में भ्रमण करके जानकारी कर सकेगी। ऐसे भ्रमण में समिति विभिन्न समुदाय के वर्गो से भी जानकारी प्राप्त कर सकेगी। समिति द्वारा की गयी जाँच रिपोर्ट में इसका पूर्ण विवरण दिया जाएगा, जिसमें उन नागरिकों / संस्थाओं व क्षेत्र का नाम होगा, जिनसे बातचीत व जानकारी की गई। सर्वेक्षण प्रभाग द्वारा किये जाने वाले सर्वेक्षण की ऐसी प्रश्नावली में आवश्यक रूप से सम्बन्धित अन्य निर्धारित प्रश्नों के अतिरिक्त निम्नलिखित प्रश्न होगें :-
- सम्बन्धित समुदाय में ऐतिहासिक, भौगोलिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और सामान्य जानकारी के सम्बन्ध में।
- परिवार के विभिन्न पहलुओं सम्बन्धी।
- विभिन्न अन्य समुदायों के मत जानने सम्बन्धी।
- सर्वेक्षण प्रभाग की रिपोर्ट व समिति की रिपोर्ट (यदि समिति ने भी जाँच किया हो) प्राप्त हो जाने के पश्चात प्रकरण पर अन्तिम सुनवाई की तिथि निश्चित की जाएगी। जिसकी सार्वजनिक सूचना दो दैनिक समाचार / पत्रों में जिनका सम्बन्धित क्षेत्र में प्रसार हो, प्रकाशित की जाएगी तथा प्रार्थी व आपत्तिकर्ता (यदि कोई हो) को कार्यालय द्वारा सूचना नोटिस भेजकर दी जाएगी।
- अन्तिम सुनवाई आयोग द्वारा की जाएगी, जिसमें कम से कम तीन सदस्यों (जिनमें अध्यक्ष भी सम्मिलित होंगे) की उपस्थिति आवश्यक होगी। ऐसी सुनवाई के समय प्रत्यावेदनकर्ता या आपत्तिकर्ता (यदि काई हो) द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य को लिया जाएगा और पक्षकारों को तर्क प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाएगा।
- सुनवाई करने वाली समिति द्वारा प्रत्यावेदन पर संस्तुति स्थल जाँच रिपोर्ट आदि तथा अन्य उपलब्ध कराये गये तथ्य जानकारी एवं आँकड़े व साक्ष्य को विचार में लेते हुए की जाएगी। यदि कोई सदस्य अपनी भिन्न संस्तुति करे, तो आयोग की बैठक में उस पर विचार किया जाएगा और विचार-विमर्श के पश्चात आयोग की संस्तुति को अन्तिम रूप दिया जाएगा।
- आयोग की संस्तुति प्रदेश शासन को प्रेषित की जायेगा।
क्र.सं. |
विषय |
देखें |
|
सम्मिलित जातियों के नाम साइज:993 KB | भाषा: हिंदी |
देखें |