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भूमिका और उत्तरदायित्व
आयोग के कार्य
क- आयोग के अनुसूची में किसी वर्ग के नागरिकों को अन्य पिछड़े वर्ग के रूप में सम्मिलित किये जाने के अनुरोधों का परीक्षण करेगा और अनुसूची में किसी पिछड़े वर्ग के गलत सम्मिलित किये जाने या न किये जाने की शिकायतें सुनेगा और राज्य सरकार को ऐसी सलाह देगा, जैसी वह उचित समझे।
तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन या सरकार के किसी आदेश के अधीन पिछड़े वर्गों के लिये उपबंधित रक्षोपायों से सम्बन्धित सभी मामलों का अन्वेषण एवं अनुश्रवण करना और ऐसे रक्षोपायों का मूल्यांकन करना।
पिछड़े वर्गों के अधिकारों और रक्षोपायों से वंचित किये जाने के सम्बन्ध में विशिष्ट शिकायतों की जाँच करना।
पिछड़े वर्गों के सामाजिक, आर्थिक / सामाजिक विकास की योजना प्रक्रिया में भाग लेना और उस पर सलाह देना और उसके विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना।
राज्य सरकार को उन रक्षोपायों की कार्य प्रणाली पर वार्षिक और ऐसे अन्य समयों पर जैसा आयोग उचित समझें, प्रतिवेदन प्रस्तुत करना।
पिछड़े वर्गों के संरक्षण, कल्याण और सामाजिक / आर्थिक विकास के लिये रक्षोपायों और अन्य उपायों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये ऐसे प्रत्यावेदन में उन उपायों के सम्बन्ध में, जो राज्य सरकार द्वारा किये जायें, सिफारिश करना।
पिछड़े वर्गों के लिये संरक्षण, कल्याण, विकास और अभिवृद्धि के सम्बन्ध में ऐसे अन्य कृत्यों का, जो राज्य सरकार द्वारा उसको निर्दिष्ट किये जाये, निर्वहन करना।
आयोग की शक्तियाँ
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, उत्तर प्रदेश राष्ट्रपति अधिनियम संख्या-1 सन् 1996 की धारा-9 की उपधारा (1) के अधीन अपने कृत्यों का पालन करते समय किसी वाद का विचारण करने वाले सिविल न्यायालय की सभी और विशेषत: निम्नलिखित बातों के सम्बन्ध में शक्तियाँ प्राप्त होगी।
किसी व्यक्ति को सम्मन करना और उसे उपस्थित होने के लिये बाध्य करना और शपथ पर उसका परीक्षण करना।
किसी दस्तावेज को प्रकट और प्रस्तुत करने की अपेक्षा करना।
शपथ-पत्रों पर साक्ष्य प्राप्त करने।
किसी न्यायालय का कार्यालय से किसी लोक दस्तावेज की या उसकी प्रतिलिपि की अधियाचना करना।
साक्षियों और दस्तावेजों की परीक्षा के लिये कमीशन जारी करना।
अन्य कोई विषय जो विहित किया जाये।
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